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Jan 15, 2012

क्षत्रिय- एकता

कब तलक सोये रहोगे,सोने से क्या हासिल हुआ,
व्यर्थ अपने वक्त को खोने से क्या हासिल हुआ,,
शान और शौकत हमारी जो कमाई ''वीरों'' ने वो जा रही,
अब सिर्फ बैठे रहने से क्या हासिल हुआ,,

सोती हुई राजपूती कौम को जगाना अब पड़ेगा,
गिर ना जाए गर्त में, ''वीरों'' उठाना अब पड़ेगा,,
बेड़ियाँ ''रुढिवादिता'' की पड़ी हुई जो कौम में,
उन सभी बेड़ियों को तोडना हमें अब पड़ेगा,,

संतान हो तुम उन ''वीरों'' की वीरता है जिनकी पहचान,
तेज से दमकता मुख और चमकती तलवार है उनका निशान,,
वीरता की श्रेणी में ''क्षत्रियों'' का पहला है नाम,
झुटला नहीं सकता जमाना, इथिहस है साक्षी प्रमाण,,

प्रहार कर सके ना कोई अपनी आन-बाण-शान पर,
जाग जाओ अब ऐ ''वीरो'' अपने ''महाराणा'' के आवहान पर,,
शिक्षा और संस्कारों की अलख जागते अब चलो,
राह से भटके ''वीरों'' को संग मिलते अब चलो,,

फूट पड़ने ना पाए अपनी कौम में अब कभी,
''क्षत्रिय एकता'' ऐसी करो के मिसाल दें हमारी सभी,,
कोई कर सके ना कौम का अपनी उपहास,
आओ ''एक'' होकर रचें हम अपना स्वर्णिम इतिहास,



लेखक : मधु--अमित सिंह राणा

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