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Jan 7, 2014

आखिर क्यों नहीं रक्षा कर पाते है हम हमारे महान आदर्शो के सम्मान की ?


एक अति प्राचीन कहावत है कि कुल कलंक अपने महानतम पूर्वजो के यश को भी डुबो देता है ! किसी के पूर्वज कितना ही अधिक धन संचय कर जाये यदि उसके वंशज स्वयं कमाना छोड़ दे तो वह संचित धन भी एक दिन समाप्त हो जाता है और उस परिवार के लोग भुखों मरने के लिए विवश होजाते है ! ठीक इसी प्रकार पुण्य,प्रताप और यश के खजाने का भी हाल है यदि महान से भी महान पूर्वजो के घर में भी कालांतर में नाजोगा और निकम्मे वंशज पैदा हो जाते है तो उनके कुल में भी यह यश और पुण्य प्रताप रूपी खजाना समाप्त हो जाता है !

श्री राम और कृष्ण के वंशजो ने भी आज इस क्षात्र-धर्म के यश को उसी तरह लुटा दिया है !व्यग्र मत होइए मै आपको अपनी बात के लिए प्रमाण देने जा रही हुँ ! स्वतंत्रता शब्द को परिभाषित करने वाले वीर शिरोमणि हिन्दुवा सूरज प्रातः स्म्रणीय महाराणा प्रताप के यश और प्रताप को तो लोग अभी तक भूले भी नहीं है,किन्तु हमारे विरोधी समस्त शासन तंत्र ,प्रचार माध्यम ,और आज कि भ्रष्टतम कार्य-पालिकाओ की काली करतूत देखिये !!!!

शायद संपूर्ण राष्ट्र को इसकी जानकारी भी नहीं होगी कि राष्ट्रीय राजधानी में एक अंतर्राष्ट्रीय बस अड्डा है जो कश्मीरी गेट पर स्थित है ! उसका नामकरण इस महान राष्ट्र भक्त और राजपूती आन बान शान के लिए प्रख्यात "महाराणा प्रताप" के नाम पर किया गया था और दिल्ली के एक जाट मुख्यमंत्री स्वर्गीय साहब सिंह वर्मा के सद्प्रयासों से वहा कुदसिया पार्क में भव्य और तेजस्वी प्रतिमा को स्थापित किया गया था ! किन्तु थोड़े ही दिनों बाद दिल्ली मेट्रो निर्माण के बहाने उनकी प्रतिमा वहां से हटा दी गयी और आज कोई १० वर्ष से भी अधिक समय होने जारहा है ,,,,,,,उस प्रतिमा को पुनः स्थापित होने की कोई योजना दिल्ली सरकार ,या केंद्र सरकार की नजर नहीं आरही है !

जबकि इसी दिल्ली मेट्रो के रास्ते में क़ुतुब-मीनार मेट्रो स्टेशन के पास एक मस्जिद आगयी थी,तो मेट्रो प्रशासन ने अपना रूट बदल दिया था, यदि महाराणा प्रताप के वंशज कहलाने वाले राजपूतों और अन्य राष्ट्रवाद का ढोल सर पर लिए फिरने वाले लोगो में जरा सी भी राष्ट्रीयता बाकी थी तो क्या ऐसे महान राष्ट्र भक्त का यों अपमान होता ????? भारतीय संस्कृति के अनुसार जब किसी भी प्रतिमा में प्राण- प्रतिष्ठा कर दी जाती है, तब वह उस महान व्यक्ति के समान ही पूजनीय हो जाती है ! किन्तु जब परम पूज्य महाराणा प्रताप की प्रतिमा वहा से हटा कर किसी कोने में पटक दी गयी तब क्या परम सम्मानीय महाराणा प्रताप का अनादर नहीं हुआ ????
v किन्तु इसपर कौन गौर करे हम जो अपने आपको उनके वंशज कहलाते है और वे जो अपने आपको राष्ट्रीयता का पुरोधा समझते है, नाकारा और निकम्मे है !!!!! इस पर प्रत्येक राष्ट्रवादी को और कम से कम क्षत्रिय कहलाने वालो को मनन करना चाहिए कि क्या अब हमारे निक्मेपन के कारण हमारे महान पूर्वजों का स्वाभिमान ,यश,भी अब खतरे में नहीं पद गया है ????? क्या अब लोग कुछ ही समय बाद उनके नाम को अनादर से नहीं लेंगे ???और वैसे भी अब तो इस राष्ट्र में अत्याचारी,व्यभिचारी ,बलात्कारी,लेटरों,अक्रान्ताओ को केवल प्रचार साधनो के नाम पर महान बनाने का रिवाज चल पड़ा है ! ऐसे में हमें तय करना पड़ेगा कि हम किस दिशा में बढ़ रहे है ???क्या अब हमारे माता-पिता,मातामहीयों -पितामहो ,प्रमातामहियों -प्रपितामहों यानि समस्त पूर्वजों का इसी तरह अपमान बैठकर सहन करने कि आदत डालनी होगी ????? नहीं और कदापि नहीं !

इसीलिए श्री क्षत्रिय वीर ज्योति 31 दिसमबर -१ जनवरी के "गुडगाँव मंथन शिविर" में अलग -अलग क्षत्रिय संगठनो और राज्यों से पधारे महारथी गणो ने १४ जनवरी से १४ जुलाई २०१४ के लिए एक कार्य योजना तैयार की इस कार्य योजना में सर्व-प्रथम "महाराणा प्रताप" की उसी प्रतिमा को पूर्ण सम्मान और भव्यता के साथ कुदसिया पार्क कशमीरी गेट पर स्थापित करने हेतु एक जन आंदोलन चलाया जायेगा ,,,,,और इस लक्ष्य के प्राप्ति के लिए क्षत्रिय समाज अन्य समाजो को साथ लेकर किसी भी हद तक जासकता है !!!!!

जिस महाराणा प्रताप को मुग़ल अकबर नहीं विवश कर पाया उसे १० वर्ष तक दिल्ली मेट्रो ने विवश कर दिया क्योंकि आज महाराणा के क्षत्रिय कुलो में नाजोगा पीढ़ी का जन्म होगया है !!!!

"जय क्षात्र-धर्म"
कुँवरानी निशा कँवर चौहान
श्री क्षत्रिय वीर ज्योति

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