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Sep 5, 2013

राजपूत उम्मीदवार के खिलाफ किसी भी नेता के झांसे में ना आये राजपूत मतदाता

पिछले राजस्थान विधानसभा चुनावों में खींवसर विधानसभा क्षेत्र से दुर्गसिंह चौहान ने बिना किसी राष्ट्रीय या क्षेत्रीय पार्टी की टिकट के चुनाव लड़ा और विजेता भाजपा के हनुमान बेनीवाल को कड़ी टक्कर दी| उस चुनाव में भाजपा को 57500 के लगभग मिले तो दुर्गसिंह चौहान को 34300 मत मिले वहीँ कांग्रेस सिर्फ 17000 मतों पर सिमट गयी थी|

पिछले चुनाव में उक्त विधानसभा क्षेत्र से हनुमान बेनीवाल को भाजपा की और से टिकट दिलाने व उसे जिताने के लिए भाजपा के दो राजपूत नेताओं ने सहायता की लेकिन हनुमान बेनीवाल भाजपा सहित इन दोनों राजपूत नेताओं के लिए भस्मासुर साबित हुआ| इस बार वही दोनों राजपूत नेता जो भाजपा की पूर्व सरकारों में मंत्री भी रह चुके है ने जीतने की संभावना वाले दुर्गसिंह चौहान को टिकट ना दिला कांग्रेसी मूल के विजय पुनिया को इस क्षेत्र से चुनाव में उतारने की लोबिंग कर रहे है व एक ऐसे व्यक्ति को चुनाव जीताने के लिए राजपूत मतदाताओं को बरगलाने में लगे है जिस पर 1971 में एक राजपूत दिलीप सिंह राठौड़ की हत्या में शामिल होने का आरोप है|

भाजपा के इन दोनों राजपूत नेताओं द्वारा एक राजपूत के हत्यारे व्यक्ति का समर्थन करने पर राजपूत युवाओं व सामाजिक संगठनों में भारी रोष है जो फेसबुक सहित सोशियल साइट्स पर अभिव्यक्त किया जा रहा राजपूत युवाओं का उग्र रोष साफ़ देखा जा सकता है|

यही नहीं पिछले दिनों नागौर जिले में भाजपा की सभा में मंच से इन्हीं दोनों राजपूत नेताओं में से एक ने कहा कि – “राजपूत समाज ने विजय पुनिया को माफ़ कर दिया है|” मंच से इस बयान के बाद से ही राजपूत युवा सोशियल साइट्स पर उस कथित नेता से सवाल पुछ रहे है कि – “समाज के एक व्यक्ति के हत्यारोपी को पुरे समाज की और से माफ़ करने वाले वे नेता क्या समाज के ठेकेदार है ? जो पुरे समाज की और से उस हत्यारोपी को पाक साफ़ होने का सर्टिफिकेट बांटते घूम रहे है|”

क्षत्रिय वीर ज्योति व अन्य राजपूत समाज के सामाजिक संगठनों ने इन दोनों नेताओं को उक्त विधानसभा क्षेत्र से दुर्गसिंह के खिलाफ किसी भी तरह का प्रचार न करने व दुर्गसिंह जीत में रोड़ा न बनने की अपील के साथ ही चेतावनी दी है कि यदि उपरोक्त कथित नेता समाज द्रोही कार्यों से बाज नहीं आये तो समाज को मजबूर होकर उनके खिलाफ भी मतदान कर उन्हें सबक सिखाने को मजबूर होना पड़ेगा|

ज्ञात हो उक्त क्षेत्र से पिछला चुनाव हारने के बावजूद दुर्गसिंह आम जनता के बीच उनके सुख दर्द में भागीदार बने रह कर डटे रहे और पुरे पांच वर्षो तक वे आम जनता का कार्य करते रहे, बल्कि चुनाव जीतने वाले विधायक से भी कहीं ज्यादा दुर्गसिंह ने क्षेत्र में समय दिया व लोगों के कार्य करवाये| यही कारण है कि उक्त विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ 25000 राजपूत मत होने के बावजूद दुर्गसिंह 34300 मत लेने में कामयाब हुए थे| यह उनकी आम जनता व अन्य जातियों में स्वीकार्यता का प्रमाण है|

ठीक इसी तरह डीडवाना विधानसभा को लेकर भी राजपूत युवाओं में भाजपा व राजपूत समाज के एक प्रभावी सामाजिक संगठन को लेकर राजपूत युवाओं में भारी नाराजगी है| डीडवाना विधानसभा क्षेत्र में राजपूत मतदाता निर्णायक स्थिति में है और इसका उदाहरण उम्मेदसिंह खोजास पूर्व में निर्दलीय चुनाव जीत कर पेश कर चुके है, राजस्थान में राजपूत भाजपा के परम्परागत मतदाता रहे है अत: भारतीय जनता पार्टी राजपूतों को बेचारा समझ टिकट नहीं देती और अधिक मत होने के बावजूद यह सोचकर कि बेचारे राजपूत हमें वोट देने के अलावा जायेंगे कहाँ ? किसी और जाति के उम्मीदवार को टिकट देकर थोप देती है| ज्ञात हो राजस्थान में राजपूत परम्परागत तौर पर कांग्रेस विरोधी है और उनकी इसी कमजोरी को भाजपा अपने फायदे में भूनाती रही है|

और भाजपा की इस सोच को पिछले दिनों राजस्थान में भाजपा की एक सभा में पूर्व आरपीएससी अध्यक्ष और वर्तमान भाजपा नेता सी.आर.चौधरी ने अपने भाषण में यह कर जाहिर भी कर दिया कि- ब्राह्मण, बनिये, राजपूत भाजपा के मानसिक गुलाम है इन्हें भाजपा को वोट देने के अलावा कोई चारा नहीं अत: इनके वोटों से इन पर ही राज करों|


डीडवाना विधानसभा क्षेत्र में भी पिछली बार राजपूत समाज के श्यामप्रताप सिंह को भाजपा द्वारा टिकट नहीं दिए जाने पर समाज ने उन्हें निर्दलीय चुनाव मैदान में उतार भाजपा के पूर्व मंत्री युनुस खान को चुनाव में हरा अपनी ताकत दिखा दी, इस बार भी श्यामप्रताप सिंह बसपा की टिकट पर चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे है जिसके चलते भाजपा उम्मीदवार पूर्व मंत्री डीडवाना से चुनाव लड़ने में कतराते नजर आ रहे है|

पर राजपूत समाज का अग्रिणी व प्रतिष्ठित सामाजिक संगठन के कर्ता धर्ताओं द्वारा अपने निजी फायदे के लिए पिछले चुनाव में भी भाजपा का समर्थन करना व इस बार भी उनके द्वारा एक राजपूत उम्मीदवार के खिलाफ भाजपा का समर्थन करना राजपूत युवाओं व सामाजिक संगठनों को रास नहीं आ रहा है और वे सोशियल साइट्स पर इस संगठन के खिलाफ जमकर भड़ास निकाल रहे है|

क्षत्रिय वीर ज्योति ने राजपूत युवाओं का आव्हान किया है कि वे किसी भी राष्ट्रीय पार्टियों के जर खरीद मानसिक गुलाम राजनेताओं के झांसे में ना आये और अपनी जातिय भावनाओं का दोहन ऐसे समाजद्रोही संगठनों को ना करने दे|


ज्ञात हो “क्षत्रिय वीर ज्योति” संगठन राजपूत करणी सेना, राजपूत युवा परिषद्, जय राजपुताना संघ आदि विभिन्न दर्जनों राजपूत सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर राजनैतिक चिंतन कर इन चुनावों में राजस्थान विधानसभा में ज्यादा से ज्यादा राजपूत विधायक भेजने को क्रियाशील है| और इस हेतु विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में राजपूत राजनैतिक चिंतन शिविर का आयोजन कर समाज को राजनैतिक तौर से जागृत करने में लगा है

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